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क्या है @NetNeutrality? सिर्फ 2उदाहरण से आम भाषा में समझिए पूरा फंडा

दूरसंचार आयोग ने इंटरनेट के मामले में भेदभाव नहीं होने को लेकर नेट निरेपक्षता यानी नेट न्यूट्रैलिटी नियमों को मंजूरी दे दी है. ये नियम सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट पर किसी सामग्री और सेवा के साथ किसी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाते हैं. हालांकि, रिमोट सर्जरी और स्वचालित कर जैसी कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को नेट निरपेक्षता नियमों के दायरे से बाहर रखा जाएगा. दूरसंचार सचिव अरूणा सुंदरराजन ने कहा, ‘‘दूरसंचार आयोग ने ट्राई की सिफारिशों के आधार पर नेट निरपेक्षता (NetNeutrality) को मंजूरी दे दी. ऐसी संभावना है कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जा सकता है.’’ लेकिन, आसान भाषा में समझें तो क्या है ये नेट न्यूट्रैलिटी?
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क्या मिलेगा इंटरनेट का अधिकार
भारत में नेट न्यूट्रैलिटी पर डिबेट जारी है. सरकार बार-बार भरोसा दे रही है कि देश के हर नागरिक को इंटरनेट का अधिकार है. उसका मकसद डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना है, ऐसे में वह नेट न्यूट्रैलिटी से कभी भी समझौता नहीं करेगी. दरअसल, इंटरनेट पर न्यूट्रैलिटी को लेकर चर्चा तो कई महीनों से चल रही थी, लेकिन यह सुर्खियों में तब आया जब ट्राई में मोबाइल ऑपरेटरों के दबाव में इंटरनेट कंटेंट पर चार्ज लगाने पर इंटरनेट यूजर्स से फीडबैक मांगा. एक बार फिर से नेट न्यूट्रैलिटी को आम आदमी की भाषा में समझते हैं.

क्या है Net Neutrality
Net Neutrality का मतलब है कि इंटरनेट पर आम आदमी हो या बड़ी कंपनी या फिर सरकार सबको बराबर मौका मिलना चाहिए. इंटरनेट की इसी खूबी के चलते यह अभिव्‍यक्ति की आजादी का मजबूत माध्‍यम बनकर उभरा है. लेकिन, कुछ टेलीकॉम कंपनियां कुछ वेबसाइटों को फ्री या तेज स्‍पीड देकर बाकी वेबसाइटों का रास्‍ता बंद करना चाहती हैं. जबकि, Net Neutrality के हिसाब से इंटरनेट पर हर वेबसाइट को बराबर स्‍पीड और बराबर मौका मिलना चाहिए. ऐसा नहीं कि टेलीकॉम कंपनी से टाई अप करने वाली वेबसाइट तो एकदम खुल जाए और बाकी वेबसाट स्‍लो हो जाएं. टेलीकॉम कंपनियों की यह लॉबिंग कामयाब रही तो इंटरनेट की आजादी खतरे में पड़ सकती है.
नेट न्यूट्रैलिटी को कैसे नुकसान?
इंटरनेट प्रोवाइडर्स पहले भी Skype जैसी वीडियो कॉलिंग सर्विसेज के लिए अलग से चार्ज लेने की बात कर चुके हैं. क्योंकि उन्हें लगता रहा है कि इस तरह के प्रोडक्ट्स उनके वॉयस कॉलिंग बिजनेस को नुकसान पहुंचाते हैं. यही नेट न्यूट्रैलिटी के कंसेप्ट के खिलाफ है जो सभी ट्रैफिक को बराबर तवज्जो देने की बात करता है.
3 आसान उदाहरणों से समझिए @net neutrality
1. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को किसी वेबसाइट की स्‍पीड या कंटेंट को नियंत्रित करने का अधिकार देना ठीक वैसे ही है जैसे बिजली सप्‍लाई करने वाली कंपनी आप से कहे कि उसकी बिजली से फ्रीजर नहीं चला सकते. कूलर फ्री में चला सकते हैं लेकिन पंखा बहुत धीमा चलेगा. जो भी उपकरण इस्तेमाल करेंगे बिजली की दरें अलग होंगी. इस तरह बिजली का उपयोग आप कैसे करते हैं यह बिजली कंपनी तय करने लगेंगी. यह बात इंटरनेट पर लागू होने का मतलब है न सिर्फ अभिव्‍यक्ति की आजादी टेलीकॉम कंपनियों के हाथ में जाना बल्कि छोटे उद्यमियों, कंपनियों के रास्‍ते बंद होना. 
2. मान लीजिए आप 10 रुपए की एंट्री फीस देकर किसी पार्क में जाते हैं. लेकिन, अंदर पहुंचने पर पता चलता है कि पार्क में दौड़ने के अलग पैसे हैं, बैठने के अलग पैसे और झूला झलने का अलग चार्ज. इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों की मर्जी चली तो यह फंडा ऑनलाइन दुनिया में भी लागू हो जाएगा. इससे इंटरनेट का चरित्र और चेहरा हमेशा के लिए बदल सकता है.

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वॉट्सऐप में आया नया फीचर, अब पता चल जाएगा कौन फैलाता है फेक न्यूज

वॉट्सऐप ने अपने प्लेटफॉर्म पर फैलाई जा रही फेक खबरों और अफवाहों को रोकने के लिए नया कदम उठाया है. मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने 'फॉरवर्ड मैसेज इंडीकेटर' फीचर की शुरुआत की है. इस फीचर की मदद से कोई भी यूजर यह पता लगा लेगा कि उसके पास आया मैसेज वास्तविक रूप से किसने बनाया है या फिर किसी और के मैसेज को फॉरवर्ड किया है. हाल के दिनों में सोशल मीडिया के जरिए देश में फेक न्यूज और अफवाहें फैलाने के कई मामले सामने आए थे. वॉट्सऐप भड़काऊ मैसेज और अफवाहें फैलाने को लेकर विवादों में घिरा हुआ है.
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कैसे लगेगी फेक न्यूज पर रोक
कंपनी ने अपने नए फीचर को लेकर दुनिया भर में प्रेस रिलीज जारी की है. इसमें कहा गया है कि वॉट्सऐप यूजर को यह पता चल जाएगा कि कौन-कौन से मैसेज उसे फॉरवर्ड किए गए हैं. इससे यूजर को एक-दूसरे के साथ और वॉट्सऐप ग्रुप में बातचीत करने में आसानी होगी. हालांकि, अब भी यह सवाल बना हुआ है कि वॉट्सऐप के इस कदम से फेक न्यूज पर किस हद तक लगाम लगेगी.
अपडेट करना होगा वॉट्सऐप
नए फीचर से यूजर को यह भी पता चलेगा कि उसके दोस्त या रिश्तेदार द्वारा भेजा गया मैसेज उन्होंने लिखकर भेजा है या कहीं और से आया है. इस फीचर के लिए यूजर को अपने स्मार्टफोन में वॉट्सऐप का अपडेटेड वर्जन रखना होगा.



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 पता चलेगा ये फॉरवर्डड मैसेज है या नहीं.


पता लगेगा यह है गलत संदेश
कंपनी का दावा है कि 'वॉट्सऐप आपकी सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है. हम आपको फॉरवर्ड किए गए मैसेज को शेयर करने से पहले एक बार सोचने की सलाह देते हैं. इसे फॉरवर्ड करने से बचने के लिए आप एक टच से स्पैम (गलत संदेश) की रिपोर्ट कर सकते हैं या मैसेज भेजने वाले शख्स को ब्लॉक कर सकते हैं.' गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें झूठी खबरों, अफवाहों को बेवजह बढ़ाया गया.
कंपनी से शिकायत करें
फेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने मंगलवार को अपने विज्ञापन में लोगों को झूठी खबरों से बचने की सलाह दी थी. इस विज्ञापन में वॉट्सऐप ने कहा है, 'हम सब मिलकर फेक न्यूज की समस्या को दूर कर सकते हैं. इसके लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों, सरकार और सामुदायिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा. अगर आपको कुछ ऐसा दिखाई देता है जो आपको लगता है कि सच नहीं है तो कृपया उसकी रिपोर्ट करें.' इस बारे में पिछले हफ्ते सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने वॉट्सऐप से ज्यादा जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को कहा था. 
सोच समझकर शेयर करें मैसेज
इस विज्ञापन में वॉट्सऐप ने यूजर्स से अनुरोध किया है कि वे फॉरवर्ड किए गए मैसेज से सावधान रहें, परेशान करने वाली जानकारी पर खुद से सवाल उठाएं, जिस जानकारी पर यकीन करना मुश्किल हो उसकी जांच करें, मैसेज में मौजूद फोटो या वीडियो को ध्यान से देखें, लिंक की जांच करें और मैसेज को सोच समझकर ही शेयर करें.

आप भी हो सकते हैं 'सिम स्वैप' फ्रॉड का शिकार ,इससे बचने के लिए ये बातें जान लीजिए, Click to See

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सिम स्वैप इन दिनों सबसे बड़े साइबर-फ्रॉड के तौर पर सामने आया है. दिल्ली, बैंगलोर और कोलकाता में कार्ड स्वैप के की मामले सामने आए हैं. इस नई धोखा-धड़ी का शिकारस्मार्टफोन यूजर्स हो रहे हैं, जिनसे महज मिनटों में पैसे लूट लिए जा रहे हैं. शहरों में रहने वाले कई लोग जो डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं वो इसतरह के फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं. यहां तक कि कुछ यूथ भी इस तरह के धोखे में अपने पैसे गवां चुके हैं. सिम स्वाइप फ्रॉड करने के कई तरीके हैं अगर आप भी स्मार्टफोन यूजर है और इस घोखे से बचना चाहते हैं तो ये बातें जान लीजिए.

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सिम स्वैप एक मोबाइल नंबर पर नया सिम निकालने की प्रकिया है. दरअसल फ्रॉड करने वाले आपके नंबर पर एक नया मोबाइल नंबर निकलते हैं. ऐसा होने पर आपका सिमकार्ड काम करना बेद कर देता है और आपका नंबर इनवैलिड हो जाता है. इस तरह धोखाधड़ी करने वाले के पास आपका नंबर आ जाता है और इसकी मदद से आसानी से ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड का बैंक ट्रांजैक्शन या कोई भी ट्रांजैक्शन कर के लोगों का नुकसान किया जा सकता है.

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सिम स्वैप फ्रॉड का सबसे आसान तरीका है एक कॉल से शुरु होता है. आपको एक कॉल आएगा जिसमें वो आपको आपके टेलीकॉम कंपनी ( एयरटेल, वोडाफोन, जियो , आइडिया) का एग्जीक्यूटिव बताएंगे. इस फोन को रुटीन कॉल बताएंगे साथ ही नेटवर्क बेहतर बनाने के लिए आपसे आपको फोन नंबर मांगेंगे. इतना ही नहीं ये लोग आपको फोन पर बेहतर डेटा ऑफर और नए प्लान देने की बात भी करते हैं जिसके झांसे में कोई भी आसानी से आ सकता है.

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स्कैम कॉलर आपको फोन करके चाहेगा कि वह आपके सिम पर प्रिंट 20 डिजिट वाला नंबर पा सके. हर सिम पर एक 20 डिजिट का नंबर होता है जिसे आप अपनी सिम पर भी पीछे की ओर जांच सकते हैं. स्कैम करने वाले चाहते हैं ति आप ये 20 डिजिट वाला नंबर उनके साथ साझा करें. इसके लिए वो की नए ऑफर की पेशकश करते हैं लेकिन भूल कर भी ऐसा ना करें.

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अगर आप अपना यूनिक 20 डिजिट वाला सिम नंबर स्कैम करने वाले से साझा करते हैं तो वह आपको 1 दबाने की सलाह देगा. ये सिम स्वैप को सहमति देने के लिए होगा. आपके यूनीक नंबर से वह टेलीकॉम कंपनी को सिम स्वैप के आवेदन करेगा. आप 1 बटन दबाएंगे तो इसतरह आप अपने सिम स्वैप के लिए सहमत हो जाएंगे. टेलीकॉम कंपनियों को लगेगा ये रिक्वेस्ट आपकी ओर की गई है. इसतरह आपका नंबर हाईजैक कर लिया जाएगा.

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इसतरह के मामलों में आपका बैंक अकाउंट का आईडी और पासवर्ड स्कैम करने वालों के पास पहले से मौजूद होता है बात सिर्फ ओटीपी पर आ कर अटकती है और सिम स्वैप के जरिए धोखाधड़ी कपने वाले लोग आपका ओटीपी भी पा लेते हैं और आपके अकाउंट से पैसे ले उड़ते हैं. 

Rear Image Of Indian Peafowl


Peafowl is the commonly used term to refer to female peafowl. They are usually smaller than peacocks, weighing less than four kilograms. The head is brown in colour, and the neck is metallic green. Head bears the crest made up of bare-shafted feathers, but its prominence is low. The body is shaded-brown in colour. The tail and rest also are brown in colour. White coloured short feathers on either side cover the belly. The overall colorfulness is less attractive in the females, which is because peafowl makes the final call about the mating partner. She usually likes to mate with the most attractive peacock. Upon a successful mating, female lays white-coloured eggs and incubates them until hatch. The incubation time is almost a month (28 – 30 days). Eggs are light brown coloured and slightly smaller than turkey eggs. The call of the peafowl sounds ‘kwikkuk kwikkukkuk’ and sometimes ‘kra kraak’.

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